Dussehra 2025 विशेष कहानी: विजयादशमी केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह जीवन और साधना की गहराई से जुड़ा पर्व है। इसका गूढ़ महत्व हमें आंतरिक और बाह्य विजय की शिक्षा देता है।
१. आध्यात्मिक दृष्टिकोण
आत्मिक विजय का प्रतीक: रावण और महिषासुर जैसे राक्षस बाहरी प्रतीक हैं, लेकिन वास्तव में ये काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्या जैसे आंतरिक विकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। विजयादशमी का संदेश है कि जब व्यक्ति साधना, संयम और सत्कर्म से इन विकारों पर विजय प्राप्त करता है, तभी असली दशहरा मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का फल: नवरात्रि के नौ दिनों में आत्मा की साधना और शुद्धि की प्रक्रिया होती है, और दशमी तिथि पर साधक को आंतरिक शक्ति और विजय का अनुभव होता है।
शक्ति और भक्ति का समन्वय: यह पर्व बताता है कि आध्यात्मिक जीवन में भक्ति (श्रद्धा) और शक्ति (साहस व संकल्प) का संतुलन आवश्यक है।
२. दार्शनिक दृष्टिकोण
धर्म और अधर्म का संघर्ष: जीवन निरंतर संघर्ष का नाम है—सत्य और असत्य, ज्ञान और अज्ञान, विवेक और अविवेक। विजयादशमी इस संघर्ष में सत्य और धर्म की अंतिम विजय का दर्शन कराती है।
कर्म और पुरुषार्थ का संदेश: भगवान राम ने केवल भाग्य या प्रार्थना से विजय नहीं पाई, बल्कि प्रयास, संगठन, पराक्रम और नीति से रावण का पराभव किया। यह दर्शाता है कि मनुष्य अपने कर्म और पुरुषार्थ से ही विजय प्राप्त कर सकता है।
सार्वभौमिक संदेश: यह पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि दार्शनिक रूप से भी यह सिद्ध करता है कि जो शक्तियाँ समाज, संस्कृति और जीवन को बाधित करती हैं, उनका नाश निश्चित है और सतत् प्रगति मानव जीवन का स्वभाव है।
विजयादशमी का सार
इस प्रकार विजयादशमी हमें यह स्मरण कराती है कि बाहरी उत्सव से भी बढ़कर यह आत्म-विजय, आत्म-संयम और धर्मनिष्ठ जीवन की ओर अग्रसर होने का अवसर है।
आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
शुभम् भवतु।
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